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खोज / संतोष अलेक्स
Kavita Kosh से
डाइनिंग-टेबुल पर ढूँढ़ा मैंने तुम्हें
भीड़ में थे तुम
रोटियाँ बाँट रहे थे
फिर गिरजाघर में कोशिश की ढूँढ़ने की
तुम खेतों में दिखाई दिए
किसानों के बदन पर चमकते हुए
बकरी के बाड़े में खोजा तुम्हें
पता लगा
तुम खोई हुई बकरी की तलाश में चले गए
मैंने तुम्हें एक निश्चित
सीमा में ढूँढ़ा
तुमने मुझे सीमाहीन
दुनिया दिखाई
मैंने तुम्हें बिस्तर में तलाशा
और तुम पहाडों पर
फूल बन नाचे
अनुवाद : अनिल जनविजय