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गंगा-कूल सिराने / अज्ञेय

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 गंगा-कूल सिराने ओ लघु दीप-
मूक दूत से जाओ सिन्धु समीप!

ढुलक-ढुलक! नयनों से आँसू-धार!
कहाँ भाग्य ले उन के पाँव पखार!

लाहौर, 1935