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गीता सार / समृद्धि मनचन्दा
Kavita Kosh से
शब्द पर सन्देह रखना
रँगों पर नहीं
कलरव पर सन्देह करना
भोर पर नहीं
सन्देह करना परबतों
और रास्तों पर
नदियों और
यात्रा पर नहीं
तुम श्वास पर सन्देह रखो
जीवन पर नहीं
सन्देह रखना
प्रेम धर्म और नीति पर
पार्थ ! युद्ध पर
कृष्ण पर सन्देह करना
पर शान्ति पर कभी सन्देह न हो
एक वही अच्युत है