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चिंतामणि-1 / हरिओम राजोरिया
Kavita Kosh से
होनी को कौन टाल पाया है
काल भी कैसा निष्ठुर है
काल के गाल में समा गये चिन्तामणि
मौत के आगे बौने हुए चिन्तामणि
इतना ही लिखा था
जितना जिये चिन्तामणि
क्या करते थे चिन्तामणि ?
चिन्तामणि चिन्ता करते थे
बहुत अच्छा बोलते थे चिन्तामणि
हरदम बात करते जनहित की
कहते, ‘‘विकास की गंगा बहा देंगे,
सड़क देंगे, पुल देंगे, बड़े-बड़े भवन देंगे,’’
उद्घाटनप्रिय थे चिन्तामणि
जन-जन के प्रिय थे चिन्तामणि
चिन्तामणि चले गये
अगर जीते तो पता नहीं क्या होते
मौत भी तमाशा हुई
आयी जब स्क्रीन पर
कितने ब्रेक लगे
कैसा रुक-रुककर मरे
कितना पीटा गया मृत्यु का समाचार
ईश्वर, सबको ऐसी मौत दे
ईश्वर, चिन्तामणि की आत्मा को शान्ति मिले।