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चिड़कल्याँ / कन्हैया लाल सेठिया

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चिड़कल्याँ
दिनुगै’र सिंझ्या
रूँख स्यूँ हताई करै,
दोपाराँ फिर फिर’र
दाणा चुगै’र पेट भरै,
मिनख ही बैठो रह सकै है
भगवान’र भाग रै आसरै,
जिनावराँ रै ईंयाँ कियाँ सरै ?