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चेत / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आ’ग्यो
अबै
खिंडायोड़ै नै
अंवेरणौ रो
बगत
मनै ठा है
कोनी लेण दै
आणियां जाणियां
जक
पण जद
देखसी
तनैं
करतां त्यारी
आपै ही
पकड़ लेसी बै
गेलो
फेर ढूक ज्यासी
बठै
जठै
मंडयोड़ो हुसी खेलो !