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चोर / पतझड़ / श्रीउमेश

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गामोॅ के छै चोर छँगूरी अच्छा नाकी जानै छी।
साथोॅ में के साथी छेकै, ओकरा नै पहिचानै छी॥
धुप्प अंधरिया राती में, सिकाठी लेॅ केॅ ऐलोॅ छै
ओकरोॅ साथी आबी केॅ डारी पर चढ़ी नुकैलोॅ छै॥
नत्थू पांडे़ कन करतै चोरी मनसूआ बाँधै छै॥
चपकोरी कॅे तेल देह में, सिकाठी केॅ साधै छै।