भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छतों से / पवन करण
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
हमारी गीली कमीज़ें
सूखकर जब उठीं
छतों से उजास लेकर उठीं
हमारी पापड़-बड़ियाँ
धूप खाकर जब हटीं
छतों से स्वाद लेकर हटीं
हमारी सलाई जोड़ियाँ
सम्भलकर जब उतरीं
छतों से उम्मीद सम्भाले उतरीं
हमारी उदास चप्पलें
ऊबकर जब लौटीं
छतों से धूल लिए लौटीं