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जीवन-लक्ष्य / बॉब डिलन
Kavita Kosh से
कठिनाइयों से रीता जीवन
मेरे लिए नहीं,
नहीं, मेरे तूफ़ानी मन को यह स्वीकार नहीं।
मुझे तो चाहिए एक महान ऊँचा लक्ष्य
और, उसके लिए उम्रभर संघर्षों का अटूट क्रम।
ओ कला ! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोषों के द्वार
मेरे लिए खोल !
अपनी प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में
अखिल विश्व को बाँध लूँगा मैं !
आओ,
हम बीहड़ और कठिन सुदूर यात्रा पर चलें
आओ, क्योंकि – छिछला, निरुद्देश्य और
लक्ष्यहीन जीवन
हमें स्वीकार नहीं।
हम ऊँघते, क़लम घिसते हुए
उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जिएँगे।
हम – आकांक्षा, आक्रोश, आवेग और
अभिमान में जिएँगे।
असली इनसान की तरह जिएँगे।