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जीवन साथी / साधना जोशी
Kavita Kosh से
मैं मखमली धास हूं,
जो तुम्हारे पैरों को ।
श्रद्धा से सिर में धारण करता हूं,
जब तुम आते हो मुझ पर,
जूते उतार कर चलना,
तो ही स्पर्ष का अहसास होगा ।
बगिया का सुन्दर खिला हुआ फुल हूं मैं,
काँटों पर खिलकर खुसबू फैलाता हूं ।
तुम्हारी बगिया को सजाता हूं,
हर कोई मुझे देखकर खुष हो जाता है ।
पर मैंें तुम्हारे इन्तजार में,
आँखें बिछाये रहता हूं ।
तुम मुझे नहीं देखोगे तो,
मेरी सुन्दरता व्यर्थ हो जाएगी ।
मिट्टी में मिलकर खो जाऊँगा
प्रकृति के आगोेष में ।
तुम मेरे पेड़ हो,
मै वेल हूं तुम्हारी ।
जिसको तुम्हारे साथ बढना है,
तुम्हारी बाहों का सहारा लेकर,
ऊँचाई को छूना है ।
फूल खिलने हैं मिटते दम तक ।