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ट्रैफिक जाम / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
लो जी फिर से ट्रैफिक जाम।
बड़ा धुआँ है, तेज धुआँ जी
जैसे काला एक कुआँ जी,
साँस नहीं अब ली जाती है
सचमुच तबीयत घबराती है।
रुकी-रुकी सारी दुनिया है
रुके हमारे सारे काम!
ढेरों मोटर, ढेरों कारें
ऑटो की भी लगी कतारें
कैसे आगे बढ़ पाएँगे
कैसे हाय निकल पाएँगे?
बुरी फँसी है अपनी बस भी,
हुई बेचारी अब नाकाम।
भैया, हमको घर है जाना
कितना काम अभी निपटाना,
होमवर्क की चिंता भारी
समझो बच्चों की लाचारी।
अड़ा बीच में कैसा पर्वत
जल्दी इसे हटाओ राम!