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तसल्ली / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
आड़ी / तिरछी
सीधी / उलटी
हर लकीर
हथेली पर
खिंचवाई तुमसे
किस्मत कैसी भी
तसल्ली यही
कि लिखवाई तुमसे.