भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तीन आदमी / ललन चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
एक आदमी
इस धरती का वंदन करता है
धूल से चन्दन करता है
दूसरा आदमी
अपनी हरकतों से कब चूकता है
इस धरती पर थूकता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो इसी थूक से अपना सत्तू सानता है
उसे कौन नहीं जानता है?