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तुम्हारे लिए / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
तुम्हारी खुशियों को देखने का एक आकर्षण है
एक ऊर्जा तुमसे उतर कर मेरी देह में आ जाती है
मैं अच्छी तरह से स्थिर हो जाता हूं
आज का दिन मुझे अच्छा लगता है
मैं खिड़कियां खोलता हूं और काम में लग जाता हूं
मुझे तुमसे प्रेरणा मिलती रहती है
किस तरह से अपने मुश्किल काम हल करूं
थोड़ा सा भी अंधकार दिखता है
लगता है तुम्हारा रूप उसे दूर कर रहा है,
अपनी रोशनी से, निरंतर।