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तेरे साथ / मधुछन्दा चक्रवर्ती
Kavita Kosh से
तेरे साथ चलती रही है मेरी यादें हर कही
अब साथी मेरे अलग रास्ते की गुंजाइश ही नहीं
प्यार करके छोड़ दे तुम्हें तन्हा
ऐसा हो सकता नहीं।
मिलो तुम चाहे न मिलो
मेरी ऐसी कोई ख्वाहिश भी नहीं।
प्यार करने में अगर देरी की हमने
तो क्या हुआ?
लो अब कह देते हैं तुम्हें
सुन लो ज़रा।
चलेगी ज़िन्दगी हमारी यू ही
तुम्हें याद करते-करते ही
प्यार मिले, मिले ना सही
तुमसे रिश्ता तोड़ेंगे नहीं।