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दीपावलि! / रामेश्वरीदेवी मिश्र ‘चकोरी’
Kavita Kosh से
ओ ज्योतिमयी! सौन्दर्यमयी! आओ दीपावलि! स्वागत है।
आनन्दमयी! उत्साहमयी! आओ दीपावलि! स्वागत है॥
मानों कहते हैं सानुरोध, आओ दीपावलि! स्वागत है॥
इस बार कहो क्या शक्ति और साहस लेकर तुम आई हो?
यदि हाँ, तो ओ औदार्य्यमयी! आओ दीपावलि! स्वागत है॥
अथवा स्वदेश श्री-हीन देख, धन-धान्य पूर्ण करने आईं?
आओ लक्ष्मी! आओ जननी! आओ दीपावलि! स्वागत है॥
क्या स्वतंत्रता की देवी हो अथवा भारत-सौभाग्य, कहो,
हम सब में शक्ति जगाने को, आओ दीपावलि! स्वागत है॥
या अमर शहीदों की समाधि पर तुम दो फूल चढ़ाने को,
कुछ ममता लेकर आई हो, आओ दीपावलि! स्वागत है॥
या भारत के सपूत प्यारे, मर मिटने को जो निकल पड़े,
उनका प्रण सफल बनाने को, आओ दीपावलि स्वागत है॥