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दीया / प्राणेश कुमार
Kavita Kosh से
बारती है माँ
तुलसी चौरा पर दीया
और आलोकित हो जाता है
घर आँगन।
दीए का उजास भर जाता है
अंतर्मन तक
मन के तम तक
फैल जाता है आलोक
आलोक से भरा परिवार
उल्लसित होता है।
तुलसी चौरा का दीया,
माँ के विश्वास का दीया,
माँ के कोटि -कोटि देवताओं के
आशीर्वाद का दीया
मंडप -ग्राम देवता की स्मृति का दीया।
माँ बारती है दीया
करती है कामना हमारी कुशलता की
हमारी समृद्धि की
हमारे स्वास्थ्य और लंबे जीवन की।
माँ बारती है एक दीया
यम का दीया
रात के अँधेरे में
गाँव के चौराहे पर
घर के सब सदस्यों के
घर आने के पश्चात ।
करती है प्रार्थना यम से
हमारे घर से दूर रहने की
चाहती है उसके पाँव
कभी नहीं पड़ें
हमारी डेवढ़़ी पर।