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दुनिया / ओम पुरोहित ‘कागद’

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बहूत छोटी है
ये दुनिया
आंख खोलें तो
दिखती है !

बंद करें तो
अदृश्य !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"