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दौड़ / संगीता शर्मा अधिकारी
Kavita Kosh से
ये कैसी दौड़ है
जो हर समय जारी है।
सबसे आगे निकल जाने की दौड़।
सबको पीछे छोड़ते जाने की दौड़।
स्कूल-कॉलेज
रिश्ते-नाते
घर-दफ्तर
यत्र-तत्र-सर्वत्र
चारों ओर
दौड़, दौड़, दौड़ और बस
बेबस लाचार अंतहीन दौड़।
आखिर कब तक
दौड़ते रहेंगे हम
इस दौड़ में?
तेज़ सांसें लिए?
हांफते?
गला रूंधने तक दौड़ लगाते?
कब तक?
आखिर कब तक
दौड़ते रहेंगे हम?
जीवन की
अंतिम श्वास तक?
आख़िर!
कब तक दौड़ते रहेंगे हम
इस अंधी दौड़ में
आंखों और अक्ल पर पट्टी बाँधे।