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धिंगाणियों / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
उड़तां ही
गिगनार रै
आळै स्यूं हंस
बड़ग्यो
माय कागलो,
बणग्यो जोरां मरदी
मानसरोवर स्यूं
चुग‘र ल्यायोड़ा
अमोलक
नखत मोत्यां री
धणी !