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नाक / सूर्यकुमार पांडेय
Kavita Kosh से
कुछ की लम्बी, कुछ की छोटी,
कुछ की होती चौड़ी नाक।
कुछ की मोटी, कुछ की पतली,
कुछ की दिखे पकौड़ी नाक।
तोताराम नाम है जिनका,
उनकी चोंच सरीखी नाक।
बच्चे सारे शोर मचाते,
जब भी उनको दीखी नाक।
जो पढ़ने में पीछे रहते,
उनकी होती नीची नाक।
डर लगता है सूँड़ बनेगी,
अगर किसी ने खींची नाक।
करती रहती है जासूसी,
पकवानों की, घर में नाक।
काम बड़ा हो जिसका, उसकी
ऊँची दुनिया भर में नाक।
जिसने जिसकी इज़्ज़त रख ली,
उसने उसकी रक्खी नाक।
नहीं बैठने देती पल को,
अपने ऊपर मक्खी नाक।
सदा नाक की सीध चल रहे,
देखो इसकी सीधी नाक।
जब सोते तब बजने लगती,
खर्राटे की दीदी नाक।