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नारंगी / नज़ीर अकबराबादी
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अब तो हर बाग़ में आई है भली नारंगी।
है हर एक पेड़ की मिसरी की डली नारंगी।
हुस्न वालों के भी सीने की फली नारंगी।
देख कर उसकी वह अंगिया की पली नारंगी।
हमने तो आज यह जाना कि चली नारंगी॥
शब्दार्थ
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