भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नास्तिक / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हत्‍यारा किराए का था
उसे नहीं मालूम हत्‍या की वजह
मरने वाला एक जीवित इकाई था
और उसकी कीमत तय

एक अंधेरा था आत्‍मा पर
जो बाजार के वर्चस्‍व का प्रतिफल

कहा गया जो मारा गया
शनि का शिकार हुआ
मरना उसे इसलिए पड़ा कि वह नास्तिक था
और बाकायदा पार्टी का कार्ड होल्‍डर

वरन् क्‍या मुश्किल था
न सही लोग ईश्‍वर तो बचा ही लेता