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निषेध / रामनरेश पाठक
Kavita Kosh से
ये अलिखित ही रहें
तनहाइयाँ, फिसलनें
नाउम्मीदियाँ, उलझनें,
तनाव, सिलवटें,
सुझाव, करवटें,
ये अलिखित ही रहें.
कोरे कागज़ का दर्द
यों ही बहुत होता है,
स्याही पी पी कर वह
और बड़ा होता है !!!