नौकरी / विष्णु नागर
देखिये हम शरीफ लोग हैं, जहां तक बन पड़ेगा, हम आपकी नौकरी नहीं लेंगे, बस हम इतना करेंगे कि बीच-बीच में आपका थोड़ा-थोड़ा अपमान करते रहेंगे, ताकि आप इतने पक्के हो जाएं कि हर हालत में नौकरी करना सीख जाएं और आप तथा आपके परिवार का पेट पलता रहे.
इस अपमान के कारण आप थोड़ा-थोड़ा या कभी कुछ ज्यादा बीमार पड़ गए तो चलेगा. हम आपका यथासंभव इलाज कराएंगे और आपके स्वस्थ होने पर आपको बधाई देते हुए यह भी कहेंगे कि जीवन में हारी-बीमारी तो लगी ही रहती है. इसके कुछ दिन बाद हम पुनः आपका अपमान करेंगे. वैसे बीच-बीच में आपकी तारीफ करके और दूसरों के सामने आपका उदाहरण पेश करके आपको मुगालते में भी रखेंगे, ताकि आप नौकरी छोड़कर न चले जाएं या लगातार तनाव के कारण आत्महत्या न कर लें क्योंकि इसका महापाप हम अपने सिर पर क्यों लें, इसे हमारी कंपनी और हमारा ब्राण्ड बदनाम होता होता है.
खैर आप जब रोज-रोज के छोटे-छोटे अपमान के अभ्यस्त चुके होंगे तो हम आपके ही हित में एक दिन अचानक आपका बड़ा अपमान कर देंगे, मसलन आपके जूनियर के सामने आपको डांट देंगे या उठक-बैठक लगवा देंगे या डिमोट कर देंगे, लेकिन इससे आप घबराइएगा मत, यह मानकर इसे इग्नोर कीजिएगा कि नौकरी करने के लिए यह भी यदाकदा जरूरी है. इससे आपको लाभ यह होगा कि आपको अपना कद याद रहेगा क्योंकि कई बार अतिउत्साही कर्मचारी अपनी वफादारी दिखाने के चक्कर में अपने मातहतों से ऐसा व्यवहार करने लगते हैं जैसे वे खुद मालिक हों. वैसे इससे कंपनी को अकसर फायदा होता है और कंपनी इसीलिए अपने अदने से कर्मचारी के इस अहमकाना व्यवहार को बर्दाश्त करती है मगर कर्मचारी कभी-कभी अपनी वफादारी के प्रदर्शन में इतना ज्यादा आगे बढ़ जाता है कि मैनेजमेंट के लिए प्रॉब्लम बन जाता है.
वैसे इस ट्रीटमेंट से कर्मचारी को कभी-कभी तगड़ा शॉक लगता है. वह सोचता है कि यार ये तो मैं कंपनी के फायदे के लिए कर रहा था, अपने लिए नहीं. इस पर भी मुझे सजा मिल रही है. इस तरह के शॉक के कारण कभी-कभी उसके परिवारवालों को उसे अस्पताल में भरती करना पड़ जाता है या वह इतना ज्यादा हताश हो जाता है कि एक-दो दिन ऑफिस नहीं आता.
अस्पताल में भरती होना पड़ जाए तो ठीक वरना यह उसके हित में है कि वह ऐसा न दिखाये कि इससे उसे बड़ा झटका लगा है बल्कि अगले दिन दफ्तर आकर उसे जरूरत से ज्यादा मुस्कुराना चाहिए, भले ही उसके साथी इस कारण उसकी हंसी उड़ाएं.
उसे यह दिखाना चाहिए कि इसके बावजूद वह मैनेजमेंट का प्रिय बना हुआ है, मान-अपमान तो नौकरी में चलता रहता है, कहीं और जाओगे तो भी यही होगा और आज जो उसके साथ हुआ है, कल किसी और के साथ होगा.
दरअसल कोई कितना ही वफादार हो, हमें तो जी कोई-न-कोई कारण उसका अपमान करने का बिना ढूंढे ही मिल जाता है. तो खैर अभी से इसका चिंता करने की जरूरत नहीं. आप खून मन लगाकर काम करें और तरक्की पाएं. आपका हार्दिक स्वागत है. बेस्ट ऑफ लक. भई इन्हें इनकी सीट दिखाओ.