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नौळी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
तू संभळावै जिणनै
नौळी
गिण पाछा
बीं रै मुंडागै
घाल्योड़ा नाणां
विसवास है अकास
आ ज्यावै चाणचूक बादळ रो चंूखा
रया गिणती में चूक
हु जावै सामलै नै भरम
तू गिण पाछी रकम
मांड’र घाल गिणती री ओळी
जणां भोळाई इण नै नौळी
आ म्हारी सीख
हीरां तोली !