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परिचय / शैलेय
Kavita Kosh से
ये हज़ारों-हज़ार फूल
फूलों में बुराँस
उदासियों में ओज भरता हुआ...
ये हज़ारों-हज़ार फल
फलों में काफ़ल
रास्तों को चंगा करता हुआ...
ये हज़ारों-हज़ार हवाएँ
हवाओं में सबसे पवित्र और शीतल
घाम को मुँहतोड़ जवाब देती हुई...
इसीलिए यहाँ दिलों में भी एक झरना है
आक्षितिज प्यास बुझाता हुआ...
दरअसल यह दुनिया की सबसे ऊँची ऊँचाई
यानी हिमालय
और मैं यहीं से बोल रहा हूँ...