पहचानी राइटिंग / बेढब बनारसी
है एवर शार्प से लिखी हुई
जिसको पाकर तुम सुखी हुई
जिसका न अभी तक दाम दिया
जिसने मुझको बदनाम किया
पछताता हूँ अबतक निशिदिन कैसी की मैंने नादानी
अब तक बिल लेकर आता है
प्रतिदिन मुझको धमकाता है
हर हिटलर जैसे पोलो को
पंडित हरिजन के गोलों को
जल्दी यदि दाम चुका न सका उसने दावे की है ठानी
यह अक्षर काले-काले हैं
अथवा कुंतल के जाले हैं
बैठी यह भ्रमरावलियाँ हैं
या कस्तूरी की डलियाँ हैं
या हब्शी अबलाओंकी अवली झूम रही है मस्तानी
लिपि खूब लिखी है यह बाले
अक्षर हैं या भैंसे काले
क्या है वर्धा की लिपि नवीन
पढता हूँ अक्षर बीन-बीन
कैसे पढ़ पायेंगे इसको प्रोफेसर या पंडित या ज्ञानी
इस भाँति पत्र मत लिखो प्रिये
घूमूँगा इसको कहाँ लिए
जब इसको पढ़वाना होगा
काकाजी को लाना होगा
फिर उन्हें बुलानेको हमको पढ़ना होगा हिंदोस्तानी