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पिकनिक / परवीन शाकिर
Kavita Kosh से
सखियाँ मेरी
खुले समन्दर बीच खड़ी हैं
और मैं सबसे दूर अलग साहिल पर बैठी
आती-जाती लहरों को गिनती हूँ
या फिर
गीली रेत पे तेरा नाम लिखे जाती हूँ