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पिता / मणि मोहन
Kavita Kosh से
सत्तर की उम्र में
चलते हैं तनकर
अपनी तीन हज़ार की सरकारी पेंशन
उनके लिए
किसी एम०एन०सी० के पैकेज से कम नहीं..
किसी के भरोसे नहीं
न बेटे न बेटियां
जब कभी गुस्से में आ जाएँ
तो गालियाँ देते हैं ठेठ बुन्देली में
दो बेटे हैं उनके
और उनके कहे अनुसार
अपने जूते की नोंक पर रखते हैं
वे दोनों को --
सोचता हूँ
किसी दिन मौक़ा लगा
तो जरूर पूछूंगा
"पापा , आपके किस पैर के जूते की नोंक पर बैठा हूँ मैं
और किस पैर के जूते की नोंक पर
बैठा है मेरा छोटा भाई "..
उत्तर की जगह
वे फिर गालियाँ देंगे
पर मुझे पता है
मैं उनके बाएं पैर के जूते की नोंक पर बैठा हूँ
हाथ में कागज़-कलम लिए
और लिख रहा हूँ ।