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पै‘लापै‘ल (6) / सत्यप्रकाश जोशी
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म्हारी सुरंगी मैं‘दी रै उणियार
आज रूपाळी ऊसा राचणी
म्हारी चोळमजीठ रै उणियार
आज गवरल सिंझ्या राचणी।
पण पै‘लापै‘ल
जद थूं सांवळै हाथां सूं
म्हारै गोरै हाथां री
गुलाबी हथेळियां में
मैं‘दी मांडण लाग्यौ
तो म्हैं छळगारी लाज रै फरमांण
म्हारी मूंठियां भींच लीनी
अर वा सुरंगी मैं‘दी
टळमळ जमना री
छोळां में रळमळगी।