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पॉकेटमार / शिवकुटी लाल वर्मा
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पॉकेटमार !
भाग्य की पॉकेट मारो
और बाँट दो उसे भाग्यहीनों में
वही तो है तुम्हारा परिवार
जानता हूँ मैं तुम्हारा वर्तमान
तुम्हारा भविष्य
पर बेड़ियों से और हथकड़ियों से डर कर क्या तुम
भाग्यहीनों के आँसुओं के उस रास्ते को
तब्दील करने से मुकर जाओगे
जो उन्हें सिर्फ़ मौत की ओर ढकेलता है
साफ़ कर दो उस परिवेश की जेब
जहाँ विकास नपुंसकता का पर्याय बन जाता है
लोकमत चुनवा दिया जाता है मत-पेटिकाओं में
आरोपों-प्रत्यारोपों से सजी-धजी
ठगती है वेश्या राजनीति
सबूत के अभाव में लड़खड़ाता हुआ
गिरता है किसी उच्च रक्तचाप के रोगी-सा न्याय
निर्दोष की विवश्ता भरी यन्त्रणा से बढ़कर
क्या और कोई जेल हो सकती है
पॉकेटमार !