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प्रार्थना / संजीव कुमार
Kavita Kosh से
खोल हृदय के द्वार
बुला लें नये समय को,
मन की देहरी से अलसाकर
करें विदा अब गये समय को।
विगत क्षणों की स्मृति के संग
प्रियजन की छवि अंकित कर लें,
आनेवाली भोर सुहानी
प्रिय वाणी का दीपक रख दें।
उजियारी हो राह, भली हो चाह
जगत में सबका शुभ हो,
नये समय में मन भी बदलें
चाहें यही कि सबको सुख हो।