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प्रेम-बीज / मनोज श्रीवास्तव

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प्रेम-बीज

प्रेम-बीज के
अंकुरित होकर
पनपकर पौध बनने,
पौध से कामुक वृक्ष बनने
और आसमान भेदकर
--हवाओं का शील-भंग करने में
बस, पलक के एक बार
झपकने तक का ही समय लगता है.