भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बंदर राजा / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
टोपी पहने, माइक सँभाले
बंदर राजा आए,
मुझको वोट सभी देना जी
कह करके मुसकाए।
इतने में आई बंदरिया
बोली बंदर राजा,
राजनीति में पेंच बहुत हैं
बड़ा बेसुरा बाजा।
चलकर पेड़ों की छाया में
खाएँगे मीठे फल,
बड़ा बुरा है नेताओं का
यह चुनाव का दंगल!