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बांग्ला देश / एकांत श्रीवास्तव

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हमारे घर समुद्र में बह गए

हमारी नावें समुद्र में डूब गईं


हर जगह

हर जगह

हर जगह उफन रहा है समुद्र


हमारे आँगन में समुद्र की झाग

हमारे सपनों में समुद्र की रेत


अभागे वृक्ष हैं हम

बह गई

जिनके जड़ों की मिट्टी


कभी महामारी कभी तूफ़ान में

कभी युद्ध कभी दंगे में

कभी सूखा कभी बाढ़ में

हमीं मरे हमीं


और हमीं रहे जीवित

विध्वंस के बाद पृथ्वी पर

घर बनाते हुए |