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बिजली-बकरी / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
रेल चलै छै धड़-धड़-धड़
ताड़ोॅ पत्ता खड़-खड़-खड़
बुड़बक तेॅ बस बड़-बड़-बड़
ठनका ठनकै तड़-तड़-तड़
बकरी भागै, बुतरु भागै;
रेस बराबर ही तेॅ लागै;
रही-रही कछुआ पिछुआय;
ई देखी गदहा ठिठियाय।