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बीमार रामदीन / प्रदीप शुक्ल
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रामदीन
लगते हैं बिल्कुल बीमार
सुबह से ही
बैठे हैं घेर कर दुआर
बोल रहे
इमरजेंसी कब ख़तम होगी?
सच्ची में गाँधी था
बहुत बड़ा जोगी,
अच्छा है
छोड़ गया जल्दी संसार
लाना था
अभी उन्हें मिट्टी का तेल
घर के अन्दर चूहे
दंड रहे पेल
कहते,
अमरीका से और लो उधार
जुम्मन के लड़के को
हाँथ मत लगाना
मेरा वो बचपन का
यार है पुराना
गाय तेरी बंधी होगी
और किसी द्वार
रामदीन
लगते हैं बिल्कुल बीमार
सुबह से ही
बैठे हैं घेर कर दुआर