भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बेखबर / कुमार कृष्ण
Kavita Kosh से
उसके पास मौजूद हैं-
दूध की नदियाँ बहाने, सोने की चिड़िया बनाने का शानदार नुस्खा
एक खूबसूरत कूड़ाघर है उसके लिए हस्तिनापुर
इस बात से बेखबर है कलकत्ता की इजरा स्ट्रीट में
अपने कन्धों की दुकान पर पटसन का झाड़ू बेचने वाला आदमी
पंख वाले घोड़े पर सवार होकर वह आएगा
निर्धनता को किसी जंगल की ओर हाँक देगा
वह नहायेगा हमारे साथ गुसलखाने में
खायेगा हमारे साथ रसोई घर में सोयेगा हमारे साथ शयन कक्ष में
उसे देख पाएँगे हम कभी-कभार सुष्मिता सेन के साथ पटसन
के खेतों में
रेशमी खुशियाँ ओढ़कर वह बन्द कमरे से आएगी
उसके स्वागत में हल्का-सा मुस्कुराकर
गायब हो जाएगी।