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बैलेरिना / दिनेश कुमार शुक्ल
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					अब तुम्हारी ही नहीं है 
ये तुम्हारी देह की लय 
नदी-सा बहता हुआ आकाश है 
और इसमें चन्द्रमा का वास है
 
	
	

