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भक्त कवि / नंदकिशोर आचार्य

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मुक्ति चाहूंगा ही क्यों मैं,
बंध ही गया जब तुमसे?

तभी जाना है : मुक्ति क्यों नहीं चाही
भक्त कवियों ने
चाहा तो बस भक्ति में रहना

संयोग हो चाहे
वियोग में होना।