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भाषा / निर्मला गर्ग
Kavita Kosh से
धूल में अँटी
कादो-कीचड़ में सनी
पानी दिया मैंने
हाथ मुँह धोने को
ठीक हूँ मैं ऐसे ही
ऐसे ही बरतो मुझे
भाषा बोली
रचनाकाल : 1999