भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मशवरा / परवीन शाकिर
Kavita Kosh से
नन्ही लड़की
साहिल के इतने नज़दीक
रेत से अपने घर न बना
कोई सरकश मौज इधर आई तो
तेरे घर की बुनियादें तक बह जाएँगी
और फिर उनकी याद में तू
सारी उम्र उदास रहेगी