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महादेव / फ़रीद खान
Kavita Kosh से
जैसे जैसे सूरज निकलता है,
नीला होता जाता है आसमान।
जैसे ध्यान से जग रहे हों महादेव।
धीरे धीरे राख झाड़, उठ खड़ा होता है एक नील पुरुष।
और नीली देह धूप में चमकने तपने लगती है भरपूर।
शाम होते ही फिर से ध्यान में लीन हो जाते हैं महादेव।
नीला और गहरा ...और गहरा हो जाता है।
हो जाती है रात।