भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मित्र (2) / सत्यनारायण सोनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
यह जो बजी घंटी
टेलीफोन की
सुनी दिल ने।

घंटी में
उसका ही नाम लिया है
टेलीफोन ने।

सबका प्यारा है जो
इसके भी तो मन भाया है।

2004