भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मिले नया दम / नीलाभ
Kavita Kosh से
नए साल की पहली सुबह तुम्हें क्या दूँ मैं ?
एक फूल अमन के लिए,
एक बन्दूक आज़ादी के लिए,
एक किताब संग-साथ के लिए ?
तुम्हारी आँखों के लिए नई चमक ?
तुम्हारे ख़ून के लिए नई गरमी,
तुम्हारे प्रेम के लिए नई नरमी,
दिल के लिए नई आशा, संघर्ष के लिए नई भाषा ?
नए वर्ष में दूर हों ग़म,
नए वर्ष में मिटें सितम,
नए वर्ष में दुख हों कम,
सिर झुकें नहीं, बाँहें थकें नहीं,
टूटें सभी बेड़ियाँ, मिले नया दम ।