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मुआर / ब्रजमोहन पाण्डेय 'नलिन'

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अइसन तलफल घाम कि लुहलुह धनमा भेल मुआर।
ऊपर अँइठल बदरा नीचे धरती पड़ल दरार॥
तनमा तलफइ अगिन बान से सनसन चलइ बयार।
परती धरती ठनठन हाँफे जइसे भेल पठार॥
कहूँ न झूला झूलइ राधा उपहल फूल बहार।
घर के छानी छप्पर उजड़ल उदसल सजल दुआर॥
टकटक अँखिया ताके ऊपर बरसे तनिक फुहार।
ठुनक रहल रेंगा हे भूखल दानी कहाँ उदार॥
हँकड़े बरदा पगहा तोड़े माँगे मधुर दुलार।
जर के भेलइ हरियर गछिया ई रउदा में छार॥
सरकल नदियो के सड़िया हे जँघिया भेल उघार।
मेघ-पिया ओकर बेसरमी मानो निपट गँवार॥
छैल छबीला जइसन सुत्थर झुलसल सगर बधार।
कहूँ न थिरके नाचे मोरा चकमक पंख पसार॥
जोस किसनवन के साँसत में गेलइ सगरो हार।
कइसे बेटी के गउना ला भेजइ आज पुछार॥
हिया फटल ककड़ी के जइसन फूटल करम कपार।
देवे ला मन से नैं चाहे बनियो आज उधार॥