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मेरा दुख / परमेन्द्र सिंह
Kavita Kosh से
मेरा दुख मिटा नहीं
खो गया -
अख़बार की ख़ूनी ख़बरों में
उबलती नदियों पर जमी बर्फ़ में
मेरा दुःख मिटा नहीं
कट गया -
बच्चों की दूधिया हँसी से
किसान की दराँती से
मेरा दुःख मिटा नहीं
बदल गया -
विज्ञापन में
और बिक गया।