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मेरी लेखनी / जय जीऊत
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मेरे पास जो कुछ था
जितना कुछ था
तुम उसे हड़प चुके हो
हथिया चुके हो ।
अब तुम्हारे हाथों
गिरवी है प्रायः मेरा सब कुछ-
मेरा जीवन स्वप्न
मेरे बोलने का अधिकार
मेरे विद्रोह का अख्तियार
पर तुम कब्ज़ा नहीं कर पाओगे
मेरी लेखनी पर ।
मेरी लेखनी –
मेरे होने का एहसास है
मेरी पहचान की कसौटी है
मेरे भविष्य का हथियार है
मेरी सृजनशीलता का औज़ार है
अभिव्यक्ति का आधार है ।
अभिव्यक्तिहीन होकर
मैं जी नहीं सकूंगा
जीना मेरे लिए एक सज़ा होगा
इसीलिए
मेरी लेखनी पर
पहरा बिठाने का तुम्हारा संकल्प
बेकार है
बेमानी है
तुम इसे गांठ बांध लो ।