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रंग-ढंग / कुंदन माली
Kavita Kosh से
कंटीला
तार री
बाड़ रे मांयने
घिरियोड़ा
बारैसिंगा री
टोली रा
भाग ने
थोड़ा क’ दिनां पछै
डूंगर जस्यो
ऊंचो
संमदर जस्यो
गैरो
जाण
अबार सूं ई
करण लागी है
आपणै
पराया ने
सुपना मांयने
लोयांझाण